लखनऊ। सपा और बसपा गठबंधन के प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर के चुनाव हारने के बाद शनिवार को सपा मुख्यालय पर होने वाले राज्यसभा जीत के जश्न के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया। सपा मुख्यालय पर राज्यसभा में जीत के बाद एक समारोह का आयोजन होना था जिसमें पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत सभी बड़े नेताओं को भाग लेना था। राज्यसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी जया बच्चन तो जीत गईं, लेकिन सपा समर्थित बसपा प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर हार गए। इसके बाद यह समारोह स्थगित कर दिया गया। शुक्रवार को विधानसभा में विपक्ष के नेता, राम गोविंद चौधरी और अखिलेश यादव के दो विधायक शैलेंद्र यादव उर्फ ललई व विधायक सुभाष पासी और जो राज्यसभा चुनाव के लिए सपा के मतदान एजेंट थे, ने बसपा के लिए मतदान किया था।
करीबियों के वोट एलाट किये थे बसपा को
सपा के वरिष्ठ नेता के मुताबिक बसपा को वोट देने वालों की सूची में मनोज पारस, नाहिद हसन, रफीक अंसारी, वीरेंद्र यादव, प्रभु नारायण सिंह और गौरीगंज के विधायक राकेश प्रताप सिंह जैसे नाम शामिल हैं। सूची में अपने विश्वसनीय विधायकों का नाम डालकर यह दिखाया जाता है कि अखिलेश ने सपा उम्मीदवार के लिए वोट देने के लिए स्वयं के साथ कमजोर संबंध बनाए रखा था और किसी भी तरह की क्रॉस्डोटिंग के मामले में पार्टी के उम्मीदवारों के चुनाव खतरे में पड़ सकते थे। अखिलेश ने मायावती की नाराजगी का रिस्ट नहीं लिया और जोखिम अपने प्रत्याशी को लेकर लिया।
अंतिम समय तैयार हुई थी सूची
एसपी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि क्रास वोटिंग का पता लगाने के लिए कोई संभावना नहीं है, लेकिन अखिलेश ने निर्दल विधायक रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भैया’ के साथ संबंधों को ठीक करने के लिए पहल की। राजा भैया सपा कैबिनेट के सदस्य थे। आखिरकार, राजा भैया ने बुधवार को एसपी के डिनर पार्टी में अखिलेश को समर्थन देने की घोषणा की। उसके बाद, एसपी ने अपने कुछ सबसे भरोसेमंद विधायकों ने बीएसपी उम्मीदवार के लिए वोट देने के लिए कुछ लोगों को वोट देने का फैसला किया, ताकि पार्टी के कुछ विधायकों ने अंतिम क्षण में वफादारी बदल दी। बीएसपी के लिए वोट करने वाले विधायकों की अंतिम सूची गुरुवार शाम को तैयार की गई थी।
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